बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं.....
हुई करवा चौथ अब साफ़-सफाई में जुट जाते हैं
चूने और नील वाली बात हुई पुरानी तो क्या,
बाजार से ऑइल पेंट लाकर खुद पुताई करते हैं
अलमारी खिसकाएं शायद कोई खोई चीज़
वापस मिल जाए, और हम मुस्कराएं
जैसे बचपन में खिलौना मिल जाता था
और हम इठलाते थे
आओ, बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं
घर का कबाड़ बेच कुछ पैसे कमाते हैं
दौड़- दौड़ के घर का हर सामान लाते हैं
कुछ पैसे पटाखों के लिए बचाते हैं
आओ, बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं
बैरागढ़ जाकर थोक की दुकान से पटाखे लाते है
मुर्गा ब्रांड , लक्ष्मी बम और रस्सी बम और सांप की गोली लेकर आते हैं
दो -तीन दिन तक पटाखे छत धूप में सुखाते हैं
बार-बार सब दोस्तों के पटाखे गिनते जाते है
चलो इस बार बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं
मोहल्ले से निकल कर न्यू मार्केट की रौनक देखने जाते हैं
दुकान पर रखी चीजों को उठाते हैं
और रेट पूछकर वापस रख देते हैैं
चलो इस बार बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं
बिजली की सिरीज़ और कैंडल लटकाते है
याद करो
केसे सिरीज बनाते थे, छत से लटकाते थे
मास्टर बल्ब लगाते थे
टेस्टर रखकर पूरे इलेक्ट्रीशियन बन जाते थे
एक बार फिर दो-चार बिजली के झटके भी खाते हैं
चलो इस बार बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं
धनतेरस के दिन कटोरदान लेकर आते हैं
घर पर बने चकली गुजिया खाते हैं
प्रसाद की थाली पड़ोस में देने जाते हैं
चलो इस बार बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं
खील में से धान बिनवाते हैं
खांड के खिलोने के साथ धान खाते है
अन्नकूट की तैयारी में हाथ बंटाते हैं
नए नए पकवान खाते हैं
भैया-दूज के दिन बहन से तिलक करवाते हैं
चलो इस बार बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं
दिवाली बीत जाने पर बिन फूटे पटाखों का बारूद जलाते हैं घर की छत पे जले हुए राकेट पाते हैं
बचपन के सारे दोस्त इकट्ठा हो जाते हैं
चलो इस बार बचपन जैसी दिवाली मनाते हैं