Tuesday, April 20, 2021

आरोग्य के लिए रामचरितमानस का अध्ययन करें

 

आरोग्य के लिए रामचरितमानस का अध्ययन करें

- #मनोज_जोशी 


आज रामनवमी है। रामनवमी यानी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म दिन ! लगातार दूसरे साल यह पर्व ऐसे समय आया है जब न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व एक महामारी से लड़ रहा है। रामनवमी की शुभकामनाएं देते हुए मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आरोग्य के लिए रामचरितमानस का अध्ययन कीजिए ‌‌। आप सोच रहे होंगे भला रामचरितमानस का आरोग्य से क्या रिश्ता ?

मैं एक दिन एक कथावाचक के प्रवचन सुन रहा था, उन्होंने कहा जिस घर में रामचरितमानस होती है वहां आरोग्य होता है। कथावाचक ने घर के सभी सदस्यों को मानस का अध्ययन करने की सलाह दी। मैं भी यही सोच रहा था कि मानस का आरोग्य से क्या रिश्ता?

कथावाचक ने भी बहुत विस्तार में बताने की बजाए केवल राम की भक्ति की बात करी। लेकिन उनके इस कथन के बाद मैंने मानस को जब आरोग्य की दृष्टि से देखा तो समझ आया कि रामचरितमानस में कम से कम 40 ऐसी वन औषधियों का जिक्र है जो अलग-अलग रोगों में उपयोग में आ सकती हैं। श्री राम के युग में भारत में एक विशिष्ट चिकित्सा पद्धति विकसित थी। 

जरा यह उदाहरण देखिए - 

सती अहिल्या को श्रीराम पाषाण (वास्तव में कई वर्षों से कोमा) अवस्था से चरण धूलि से स्वस्थ अवस्था में लाते हैं।

“ जे पद परसि तरी रिषिनारी।

दंडक कानन पावनकारी।। ”

भक्ति भाव में हम इसे श्रीराम का चमत्कार मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में यह किसी चमत्कार का परिणाम नहीं था। इस भक्ति में हम यह भूल जाते हैं कि श्री राम जब विश्वामित्र जी श्रीराम विद्या ग्रहण कर रहे थे तो उन्होंने श्रीराम को ऐसी औषधियों की शिक्षा दी थी जो बिना भोजन तथा जल के शरीर को स्वस्थ रख सकती है।

“ तब रिषि निज नाथहि जियँ चीन्ही।

विद्यानिधि कहुँ विद्या दीन्ही।।

जाते लाग ना छुधा पिपासा।

अतुलित बल तनु तेज प्रकासा।। ”


लंका में युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी का मूर्छित हो जाना और संजीवनी बूटी से उनके इलाज का पूरा प्रसंग तो सभी जानते हैं। इस प्रसंग में एक खास बात जिसका आम तौर पर जिक्र नहीं होता वह या कि लक्ष्मण जी का उपचार लंका के राज वेद्य सुषेण वैद्य ने किया था। यानी उस समय चिकित्सक युद्ध के दौरान घायल दुश्मन का भी इलाज करते थे।

 इसके अलावा श्री राम के जन्म से पहले की कथा को याद कीजिए। महाराज दशरथ एक यज्ञ करते हैं और उस यज्ञ के प्रसाद स्वरूप खीर तीनों महारानियों को ग्रहण कराते हैं। यह यज्ञ भी विश्वामित्र ही संपन्न कराते हैं। तार्किक बुद्धि से विचार कीजिए यह प्रसाद एक औषधि ही थी जिसे केवल महारानियों को ही ग्रहण कराया गया। आप जब अगली बार मानस का अध्ययन करें तो पाएंगे कि अनेक अवसरों पर तुलसीदास जी ने विभिन्न फल फूल आदि के गुणों का वर्णन किया है। कई जगहों पर उन्होंने मनुष्य के स्वभाव,कर्तव्य आदि की व्याख्या करने के लिए इनका सहारा लिया है। 


!! सर्वे संतु निरामया !!

रामनवमी पर यही शुभकामना


*चित्र मेरे निवास पर बेटे रुद्रांश द्वारा तैयार श्रीराम की झांकी का


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- मनोज जोशी (भोपाल) रामनवमी युगाब्द 5123 तदनुसार दिनांक 21 अप्रैल 2021

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