(गतांक से आगे)
मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया में हुआ हिंदू महासभा का उदय
मुस्लिम लीगने अपने गठन के साथ ही अंग्रेजों के एजेंडे पर चलना शुरू कर दिया।1908 में मुस्लिम लीग के अमृतसर अधिवेशन में सर सैय्यद अली इमाम की अध्यक्षता में मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की मांग की गयी जिसे 1909 के मॉर्ले-मिन्टो सुधारों द्वारा मान लिया गया। मुसलमानों को अनेक विशेष अधिकार दिए गए। इससे देश में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया। सच्चाई यह है कि यह पृथक निर्वाचन ही देश के विभाजन का आधार बना। डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था कि “पाकिस्तान के सच्चे जनक जिन्ना या रहीमतुल्ला नहीं थे वरन् लॉर्ड मिन्टो थे.” मैं पूर्व में कही अपनी बात दोहराउंगा वही लॉर्ड मिन्टो जिनके नाम पर भोपाल में भवन है, जहाँ पाँच दशक तक विधानसभा लगी। यानी संविधान की कसम खाकर कानून बनाए गए। आज भी यह भवन विधानसभा की संपत्ति है। दरअसल इससे पता लगता है कि हम इतिहास पढ़ते नहीं और पढ़ते हैं तो उससे सीखने को तैयार नहीं ।
राजनीतिक पटल पर मुस्लिम लीग के आगमन की प्रतिक्रिया में १९०८ में ही बंगाल में हिंदू महासभा का गठन हुआ , हालाँकि तब उसका स्वरूप अखिल भारतीय नहीं था। १९१५ में महामना पं मदन मोहन मालवीय ने हिंदू महासभा को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया। १९१५ ही हिंदू महासभा का स्थापना वर्ष माना जाता है।
आपने मुस्लिम लीग के उद्देश्य पिछली कङी में जाने अब जरा हिंदू महासभा के उद्देश्यों पर नजर डालिए।
अखंड हिन्दुस्तान की स्थापना।
भारत की संस्कृति तथा परंपरा के आधार पर भारत में विशुद्ध हिन्दू लोक राज का निर्माण।
विभिन्न जातियों तथा उपजातियो को एक अविछिन्न समाज में संगठित करना।
एक सामाजिक व्यवस्था का निर्माण, जिसमे राष्ट्र के सब घटकों के सामान कर्तव्य तथा अधिकार होंगे।
राष्ट्र के घटकों का मनुष्य के गुणों के आधार पर विश्वास दिला कर विचार-प्रचार और पूजा को पूर्ण राष्ट्र धर्मं के अनुकूल स्वतंत्रता का प्रबंध।
सादा जीवन और उच्च विचार तथा भारतीय नारीत्व के उदात्त प्राचीन आदर्शों की उन्नति करना। स्त्रियों और बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना।
हिन्दुस्तान को सैनिक, राजनितिक, भौतिक तथा आर्थिक रूप से शक्तिशाली बनाना।
सभी प्रकार की सामाजिक असमानता को दूर करना।
धन के वितरण में प्रचलित अस्वाभाविक असमानता को दूर करना।
देश का जल्द से जल्द औद्योगीकरण करना।
भारत के जिन लोगों ने हिंदू पंथ छोड़ दिया है, उनका तथा अन्य लोगों का हिंदू समाज में स्वागत करना।
गाय की रक्षा करना तथा गौ-वध को पूर्णत: बंद करना।
हिंदी को राष्ट्र की भाषा तथा देवनागरी को राष्ट्र लिपि बनाना।
अन्तराष्ट्रीय शांति तथा उन्नति के लिए हिन्दुस्तान के हितों को प्राथमिकता देकर अन्य देशों से मैत्री सम्बन्ध बढ़ाना।
भारत को सामाजिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से विश्व शांति के रूप में प्रतिस्थापित करना।
विचार कीजिए , इससे किसी को क्या परेशानी होना चाहिए ।
(क्रमशः )
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