Tuesday, July 21, 2020

कोरोना के बहाने रक्षाबंधन को बिगाड़ने की कोशिश से सावधान

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कोरोना के बहाने रक्षाबंधन को बिगाड़ने की कोशिश से सावधान 

#मनोज_जोशी

सनातन यानी हमारी शाश्वत हिंदु संस्कृति के त्यौहार पर आघात करना एक फैशन बन गया है। कोरोना काल में फादर्स डे पर केक काटने और गिफ्ट लेन-देन करने वाले लोग रक्षाबंधन पर बहनों के भाई के घर आने पर ही नहीं बल्कि कोरियर / डाक से रेशमी धागा भी भेजने पर भी कोरोना फैलने की बात कर रहे हैं ।

भोले-भाले लोग इन अतिरिक्त ज्ञानियों की बात को सही मानकर इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाने जैसी बातें कर रहे हैं । पहला सवाल तो मेरा यही है कि क्या फादर्स डे के गिफ्ट से कोरोना नहीं फैलता ? क्या कोरोना वायरस को पता है कि यह गिफ्ट यूरोपियन संस्कृति के त्यौहार के लिए है, इसलिए उसे इस पर नहीं चिपकना है।

जिन लोगों ने यह गिफ्ट लिए दिए हैं वो स्वयं सोचें कि उन्होंने क्या सावधानी रखी थी, और क्या वह तरीका राखी पर लागू नहीं हो सकता ? 

अब आप कहोगे कि फादर्स डे के लिए शायद ही कोई बेटी अपने पिता के घर गई होगी। चलिए इस बात को माना, लेकिन सार्वजनिक परिवहन तो अभी भी बहुत सीमित है। फ्लाइट और ट्रेन बहुत कम संख्या में हैं । लेकिन जो इसका उपयोग करना चाहें उन्हें कोरोना संक्रमण होने की संभावना नगण्य है, क्योंकि  एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर तमाम सावधानी बरती जा रहीं हैं ।और बस सेवा अभी चालू नहीं हुई है। ऐसे में  खुद की सुविधा से या टैक्सी से सफर करने वाले लोग यदि मास्क पहनने , सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने और सार्वजनिक स्थान पर ना थूकने जैसी सावधानियां रखें तो क्या कोरोना का खतरा है ? स्वयं की जरूरत का सामान साथ में रख कर विश्वसनीय और परिचित ड्राइवर  के साथ तो यात्रा की जा सकती है।

यह भी कहा जा सकता है कि कितने प्रतिशत बहनें  इस तरह यात्रा करने में सक्षम हैं ? बिल्कुल ठीक बात है, लेकिन कोरियर या डाक से तो राखी भेजी जा सकती है ना ? 

आपको कोरियर/ डाक से डर लग रहा है ? अपने दिल पर हाथ रखो और सोचो क्या कोरोना के कङक लाक डाउन के दौरान भी आपने सब्जी / किराना आदि जरूरी सामान नहीं खरीदा ? क्या नगद लेन- देन नहीं किया ? और जबसे अनलाक शुरू हुआ है तब से क्या एक बार भी बाजार नहीं गए ? आपने कोई कोरियर रिसीव नहीं किया ? आनलाइन खरीदी नहीं की ? फूड की होम डिलेवरी नहीं की ? गाङी में पेट्रोल नहीं भरवाया ? इसमें से कुछ न कुछ तो किया ना ? उसमें क्या सावधानी रखी ? वही सावधानी राखी का कोरियर भेजने और रिसीव करने में रखना है ।

दरअसल खतरे को समझने की जरुरत है। हमारे हर त्यौहार में मीन मेख निकालना और हमें हमारी संस्कृति से दूर रखना यह एक गहरा षड्यंत्र है। अबकी बार यह हमला रक्षाबंधन पर हुआ है। और यह वामपंथी बुद्धिजीवियों के दिमाग की उपज है। रक्षाबंधन कोई विशेष पंथ का त्यौहार नहीं है। यह त्यौहार अभी भी हमारी प्राचीन संस्कृति के अनुरूप है। बङी संख्या में मुस्लिम और ईसाई पंथ को मानने वाले लोग भी राखी बंधवाते हैं । कोरोना से बचकर रहिए लेकिन त्यौहार को भी बचाइए। 

(फोटो - साभार गूगल )

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