Thursday, July 30, 2020

रामकाज पर मुहूर्त की बात करने वालों के चेहरे पहचानिए


रामकाज पर मुहूर्त की बात करने वालों के चेहरे पहचानिए


मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी  ने रामकाज के लिए कभी मुहूर्त नहीं देखा। पिछले ५०० वर्षों में हुए राम जन्मभूमि की मुक्ति के अनेक संघर्ष मुहूर्त देखकर नहीं हुए 
१९८४ में राम जन्मभूमि मुक्ति के आंदोलन की शुरुआत भी मुहूर्त देखकर तो नहीं हुई होगी। ६ दिसम्बर १९९२ को ढाँचा ढहाने की घटना तो इतनी अनायास थी कि आंदोलन का नेतृत्व देखता रह गया और कार सेवकों को भी बाद में समझ आया कि वे क्या कर गए ! सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाने से पहले मुहूर्त देखा हो यह संभव ही नहीं (देखने की अपेक्षा भी नहीं की जाना चाहिए )
और अब मुहूर्त की बात हो रही है।

अरे राम- काज के लिए कोई मुहूर्त देखा जाता है ? 
हम साधारण मनुष्य (मूरख, खल, कामी) यह कैसे तय कर सकते हैं कि युगों पूर्व इस पावन भूमि पर मनुष्य को जीवन की राह दिखाने आए मर्यादा पुरुषोत्तम का पूजन स्थल कब बनेगा ? वह भी उनकी जन्मभूमि पर ...! 
हमें अपने अगले पल का पता नहीं है और हम रामकाज का मुहूर्त तय करेंगे ।
यह तो उस मर्यादा पुरुषोत्तम के तेज का प्रभाव है जो हम से यह कार्य करा रहा है और कालखण्ड भी वही तय कर रहे हैं (इस बात को अलग पोस्ट से साबित भी करुंगा )

लेकिन 

मुहूर्त की बात करने वालों के जरा चेहरे तो देख लीजिए ...

क्या इनमें से किसी एक भी व्यक्ति ने कभी राम मंदिर निर्माण की माँग का समर्थन किया ? 
कभी मंदिर निर्माण के लिए चले लंबे संघर्ष में साथ खङे हुआ ? 
कार सेवा न करी हो, राम शिला पूजन किया?
चलिए यह लोग विश्व हिंदु परिषद के आंदोलन से सहमत नहीं थे। लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम तो सभी के हैं ना ... ! 

क्या यह मुहूर्त की बात करने वालों ने स्वयं के स्तर पर कोई प्रयास किया ...! 

फिर अब क्यों ? ? ? ? 

मुहूर्त की बात क्यों 

भैया 

खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे !

(अब कमेंट्स पढ़ना बिल्लियां पहचान में न आ जाएँ तो कहना  )
वैसे आपको बता दूँ
राम मंदिर के भूमिपूजन का मुहूर्त १२ बजकर १५ मिनट १५ सेकेंड से १२ बजकर १५ मिनट ४७ सेकेंड तक है. यानी प्रधानमंत्री ३२ सेकंड में भूमि पूजन करेंगे। प्रधानमंत्री  के हाथों आधारशिला के रूप में ५ नक्षत्रों की परिचायक पांच रजत शिलाएं रखी जाएंगी।

निश्चित ही इस मुहूर्त की गणना इस विज्ञान के जानकारों ने ही की होगी, लेकिन मेरा अंतर्मन कहता है कि समय का चयन भी मर्यादा पुरुषोत्तम ने खुद किया है।

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