Friday, August 14, 2020

न हिंदुओं में जातिवाद होता और न पाकिस्तान बनता



 

न हिंदुओं  में जातिवाद होता और न पाकिस्तान बनता

- मनोज जोशी 


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आज अखण्ड भारत संकल्प दिवस है। यदि कोई आपसे पूछे कि भारत का 1947 में विभाजन क्यों हुआ ? इसका सीधा जवाब देंगे कि मुस्लिम लीग ने माँग की, अंग्रेजों ने स्वीकार कर ली और तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व ने मन या बेमन से सहमति दे दी और देश का विभाजन हो गया। लेकिन मेरा तर्क  है कि माँग उठने तक की स्थिति तब बनी ना जब एक बङी आबादी ने अपनी पूजा पद्धति बदल ली।

क्या केवल जबरदस्ती ही पंथ परिवर्तन हुआ ? मेरा जवाब है नहीं । हिंदुओं की कमजोरी का फायदा उठाकर पंथ परिवर्तन कराए गए। 

मोहम्मद अली जिन्ना की कहानी का यह हिस्सा पढ़ कर आप समझ सकते हैं कि हिंदु जातिवाद ने देश का कितना बङा नुकसान कराया है।हिंदुओं में जातिवाद की कमजोरी का नतीजा जिन्ना के पिता मुस्लिम बने और फिर पाकिस्तान अस्तित्व में आया।

आगे पढिए ...


जिन्ना के पिता मुस्लिम नहीं  थे बल्कि उन्होंने नाराजगी में मुस्लिम धर्म ग्रहण किया। 


`पाकिस्तान एंड इस्लामिक आइडेंटिटी` में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जिन्ना का परिवार  गुजरात के काठियावाड़ का रहने वाला था। गांधीजी भी इसी क्षेत्र के थे।  उनके  दादा का नाम प्रेमजीभाई मेघजी ठक्कर था. वो हिंदु थे. वो काठियावाड़ के गांव पनेली के रहने वाले थे। प्रेमजी भाई ने मछली के कारोबार से बहुत पैसा कमाया. वो ऐसे व्यापारी थे, जिनका कारोबार विदेशों में भी था. लेकिन उनके लोहना जाति से ताल्लुक रखने वालों को उनका ये व्यवसाय  नापसंद था. लोहना कट्टर तौर शाकाहारी थे और धार्मिक तौर पर मांसाहार से सख्त परहेज करते थे । लोहाना मूल तौर पर वैश्य होते हैं, जो गुजरात, सिंध और कच्छ में होते हैं. कुछ लोहाना राजपूत जाति से भी ताल्लुक रखते हैं।


 जब प्रेमजी भाई ने मछली का कारोबार शुरू किया और वो इससे पैसा कमाने लगे तो उनके ही जाति से इसका विरोध होना शुरू हो गया. उनसे कहा गया कि अगर उन्होंने यह बिजनेस बंद नहीं किया तो उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया जाएगा. प्रेमजी ने बिजनेस जारी रखने के साथ जाति समुदाय में लौटने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी. उनका बहिष्कार जारी रहा।


इस बहिष्कार के बाद भी प्रेमजी तो लगातार हिंदु बने रहे लेकिन उनके बेटे पुंजालाल ठक्कर को पिता और परिवार का बहिष्कार इतना अपमानजनक लगा कि उन्होंने गुस्से में पत्नी के साथ तब तक हो चुके अपने चारों बेटों का धर्म ही बदल डाला. वो मुस्लिम बन गए. हालांकि प्रेमजी के बाकी बेटे ( यानी जिन्ना के काका )  हिंदु ही रहे. इसके बाद जिन्ना के पिता पुंजालालअपने भाइयों और रिश्तेदारों तक से अलग हो गए. वो काठियावाड़ से कराची चले गए. वहां उनका बिजनेस और फला-फूला. वो इतने समृद्ध व्यापारी बन गए कि उनकी कंपनी का ऑफिस लंदन तक में खुल गया. कहा जाता है कि जिन्ना के बहुत से रिश्तेदार अब भी हिंदु हैं और गुजरात में रहते हैं.


इसके बाद जिन्ना के परिवार के सभी लोग न केवल मुस्लिम हो गए बल्कि इसी धर्म में अपनी पहचान बनाई. हालांकि पिता-मां ने अपने बच्चों की परवरिश खुले धार्मिक माहौल में की. जिसमें हिंदु और मुस्लिम दोनों का प्रभाव था. इसलिए जिन्ना शुरुआत में धार्मिक तौर पर काफी  उदारवादी थे. वो लंबे समय तक लंदन में रहे.मुस्लिम लीग में आने से पहले उनके जीने का अंदाज मुस्लिम धर्म से एकदम अलग था. शुरुआती दौर में वो खुद की पहचान मुस्लिम बताए जाने से भी परहेज करते थे। बाद में वो धार्मिक आधार पर ही पाकिस्तान के ऐसे पैरोकार बने कि देश के दो टुकड़े ही करा डाले.


अब जब विचार करेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा न हिंदुओं में जातिवाद होता और न पाकिस्तान बनता।


इसी आधार पर विचार करने पर हमें १९४७ से पहले अलग हुए हिस्सों की कहानी में भी हिंदुओं की एकता की कमजोरी समझ आएगी । 

आगे भी खेल जारी है

बहुत कम लोग जानते हैं कि कश्मीर में अलगाव और आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले और देश के अन्य हिस्सों में मुसलमानों को भङकाने वाले नेता तीन चार पीढ़ी पहले हिंदु थे।

सार यह कि हिंदुत्व ही भारत की एकता और अखण्डता की गारंटी है। 

अखण्ड भारत ही पूर्ण  भारत है और उसकी सीमाएं पाकिस्तान पर समाप्त नहीं होती। जिस दिन लोग हिंदु शब्द का सही अर्थ समझ जाएंगे उस दिन उसे religion से नहीं जोङेंगे। यह हमारी राष्ट्रियता की पहचान होगी। फिर यूनाइटेड स्टेट्स आफ अमेरिका की तर्ज पर यूनाइटेड स्टेट्स आफ हिंदुस्थान (या भारत बनेगा) ।  या फिर यूरोपियन यूनियन की तरह एक यूनियन बनेगा ।कुल मिलाकर सब देश अलग अलग लेकिन राष्ट्र एक राष्ट्रियता एक ... !

#अखण्ड_भारत_संकल्प_दिवस का संदेश 


समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते ।

विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव ॥


अर्थ : समुद्ररूपी वस्त्र धारण करनेवाली, पर्वतरूपी स्तनोंवाली एवं भगवान श्रीविष्णुकी पत्नी हे भूमिदेवी, मैं आपको नमस्कार करता हूं । मेरे पैरों का आपको स्पर्श होगा । इसके लिए आप मुझे क्षमा करें ।


भारत भूमि मेरी माँ है और अखण्ड भारत मेरा सपना नहीं ध्येय है। अखण्ड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा है, निष्ठा है, ध्येय है। और विश्वास है कि इसी जन्म में, इसी देह में , इन्हीं आंखो से इसे पूरा होते हुए देखेंगे।

जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रात: उठकर ऊपर उल्लिखित श्लोक के अनुसार वंदन करते और क्षमा माँगते हुए उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम् जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगान हो, ऐसे असंख्य अंत:करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं, अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं?.....

#भारतमाताकीजय

- मनोज जोशी

(फोटो - गूगल साभार)

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