Sunday, March 21, 2021

हिंदुत्व और महात्मा गाँधीजी का रामराज्य (४५)

श्रीराम, श्रीकृष्ण, विवेकानंद जी, अम्बेडकर जी और गाँधीजी सबका हिंदुत्व एक

(गतांक से आगे)


अक्सर कुछ लोग कहते हैं कि हम संघ का हिंदुत्व नहीं मानते बल्कि विवेकानंद के हिंदुत्व को मानते हैं कुछ लोग यह कहने से भी नहीं चूकते कि हम गांधीजी के हिंदुत्व को मानते हैं। अब इस बारे में खुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या कहता है यह जानने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि यह पता लगाया जाए कि सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने इस पर कभी कुछ कहा है क्या? तीन साल पहले पांचजन्य में प्रकाशित एक इंटरव्यू में मोहन भागवत जी ने हिंदुत्व को लेकर संघ की धारणा पर विस्तार से अपनी बात कही है। उसे जस का तस या प्रस्तुत कर रहा हूँ। उन्होंने कहा

"हम एक ही हिन्दुत्व को मानते हैं। और जिसे मानते हैं उसे मैंने मेरठ में राष्ट्रोदय समागम के भाषण में स्पष्ट किया है। हिन्दुत्व यानी हम उसमें श्रद्धा रखकर चलते हैं। सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, तप, शौच, स्वाध्याय, संतोष और जो ईश्वर को मानते हैं उनके लिए ‘ईश्वर प्रणिधान’। जो ईश्वर को नहीं मानते हैं उनके लिए ‘सत्य प्रणिधान’। 

महात्मा गाँधी कहते थे, सत्य का नाम हिन्दुत्व है। वही जो हिन्दुत्व के बारे में गांधीजी ने कहा है, जो विवेकानंद जी ने कहा है, जो सुभाष बाबू ने कहा है, जो कविवर रविन्द्रनाथ ने कहा है, जो डॉ. आंबेडकर ने कहा है, हिन्दू समाज के बारे में नहीं, हिन्दुत्व के बारे में। वही हिन्दुत्व है। लेकिन उसकी अभिव्यक्ति कब और कैसे होगी, यह तो व्यक्ति और परिस्थिति पर निर्भर करता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समय हिन्दू शब्द नहीं था लेकिन जो हिन्दुत्व है, वही है। वह चलता आ रहा है, उसी का नाम हिन्दुत्व पड़ा। वे हिन्दू थे। सब मर्यादाएं तोड़ने वाले कृष्ण उसी हिन्दुत्व के आधार पर जी रहे थे। परशुराम-कितना बड़ा संहार करने वाले और करुणावतार, दोनों में उनकी जो परिस्थति थी और उनको जो अभिव्यक्ति मिली थी, उनको जो समाज में देना था वह उन्होंने दिया। शिवाजी महाराज ने मिर्जा राजा का सम्मान रखा। वे भी हिन्दुत्व का आचरण कर रहे थे। 

इसलिए हिन्दुत्व एक ही है। किसी के देखने के नजरिए से हिन्दुत्व का प्रकार अलग नहीं कर सकते। मैं सत्य को मानता हूं और अहिंसा को भी मानता हूं और मुझे ही खत्म करने के लिए कोई आए और मेरे मरने से वह सत्य भी मरने वाला है और अहिंसा भी मरने वाली है, उसका नाम लेने वाला कोई बचेगा नहीं तो उसको बचाने के लिए मुझे लड़ना पड़ेगा। लड़ना या नहीं लड़ना, यह हिन्दुत्व नहीं है। सत्य, अहिंसा के लिए जीना या मरना। सत्य, अहिंसा के लिए लड़ना अथवा सहन करना, यह हिन्दुत्व है। कब सहन करना, कब नहीं करना किसी व्यक्ति का निर्णय हो सकता है। वह सही भी हो सकता है, गलत भी हो सकता है। लेकिन गलत निर्णय करके वह लड़े तो उसके लड़ने को हिन्दुत्व नहीं कह सकते। गलत निर्णय करके वह चुप रहे तो उसके चुप रहने को आप हिन्दुत्व नहीं कह सकते। लेकिन जिन मूल्यों के आधार पर उसने निर्णय लिया वह मूल्य, वह तत्व, हिन्दुत्व है। ये जो बातें चलती हैं कि स्वामी विवेकानंद का हिन्दुत्व और संघ वालों का हिन्दुत्व, कट्टर हिन्दुत्व और सरल हिन्दुत्व। तत्व का नहीं, स्वभाव आदमी का होता है। कट्टर आदमी होता है। सरल आदमी होता है। ये भ्रम पैदा करने के लिए की जाने वाली तोड़-मरोड़ है, क्योंकि हिन्दुत्व की ओर आकर्षण बढ़ रहा है। दुनिया में बढ़ रहा और अपने देश में भी बढ़ रहा है। उसका लाभ हिन्दुत्व के गौरवान्वित होने से अपने आप हो रहा है। वह न हो इसलिए लोग उसमें मतभेद उत्पन्न करना चाहते हैं। हम हिन्दू के नाते किसी को अपना दुश्मन नहीं मानते। किसी को पराया नहीं मानते। लेकिन उस हिन्दुत्व की रक्षा के लिए हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति, हिन्दू समाज का संरक्षण हमको करना ही पड़ेगा। अब संरक्षण करने में समझाना भी पड़ता है। लड़ना पड़ेगा तो लड़ेंगे भी। हमारा लड़ना हिन्दुत्व नहीं है। हमारा समझाना हिन्दुत्व नहीं है। जिन बातों को लेकर हम चल रहे हैं उसके आधार पर अनुमान करके निर्णय करते हैं। वह मूल ही होता है। एक ही है, सर्वत्र एक ही है। और इसलिए मैंने मेरठ में कहा कि हिन्दू अब कट्टर बनेगा। इसका मतलब है हिन्दू अधिक उदार बनेगा। हिन्दू कट्टर बनेगा का मतलब ऐसे है कि महात्मा गांधी कट्टर हिन्दू थे और उन्होंने हरिजन में कहा भी है-मैं कट्टर सनातनी हिन्दू हूं। उन्होंने उसी अर्थ में कहा कि आप मुझे क्या कह रहे हो, मैं तो हिन्दुत्व का पूरा पालन कर रहा हूं। अब हिन्दुत्व में हिन्दुत्व का कैसा पालन करना, वह तो व्यक्तिगत निर्णय है। हिन्दुत्व में फर्क नहीं होता। आप यह कह सकते हैं कि फलां हिन्दुत्व को गलत समझ रहे हैं। आप कहेंगे कि मैं सही हूं, वह गलत है। इनका हिन्दुत्व, उनका हिन्दुत्व, यह सब कहने का कोई मतलब नहीं है। इसका निर्णय समाज करेगा और कर रहा है। समाज को मालूम है, हिन्दुत्व क्या है।"

(क्रमशः)

यह श्रृंखला मेरे ब्लॉग और फेसबुक के साथ एक अन्य न्यूज़ वेबसाइट www. newspuran.com पर भी उपलब्ध है।



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