Friday, March 26, 2021

हिंदुत्व और महात्मा गांधी जी का रामराज्य (४८)

 (गतांक से आगे)

सिंधु का अपभ्रंश नहीं है हिंदु, और हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है, 

जानिए शोध क्या कहती है 

#मनोज_जोशी

मैंने पिछली पोस्ट में कहा था कि धर्म की तरह हिंदु शब्द की भी गलत व्याख्या की जाती है। हिंदु को रिलीजन बता कर कहा जाता है कि पारसी लोगों ने सिंधु किनारे रहने वालों को हिंदु कहा, क्योंकि वे स को ह उच्चारण करते थे। पहली बात तो यह कि हिंदु क्रिश्चियन और मुस्लिम की तरह कोई रिलीजन नहीं है, इसकी आगे व्याख्या करूंगा। पहले हिंदु शब्द की उत्पत्ति पर बात करते हैं।

विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि हिंदु शब्द पारसियों ने नहीं दिया। जो लोग यह दावा करते हैं कि यह फारसियो का दिया शब्द है, उनसे मेरा पहला सवाल है कि भारत के लोग तो फारसी नहीं बोलते थे फिर उन्होंने एक फारसी शब्द कैसे अपना लिया। न केवल अपना लिया बल्कि उसे अपनी पहचान मान लिया। दूसरा सवाल उस समय भारत की सीमा अफगान तक थी और भारत की सीमा के सबसे करीब काबुल नदी थी तो हमें काबुली क्यों नहीं कहा गया ??

अब फारसी भाषा के व्याकरण की बात कर लीजिए फारसी लोग खुद को परस बोलते उसमे भी 'स' है । वे तो खुदको परह नहीं कहते थे । प्राचीन इराकी शहर सुमेर को भी वे सुमेर ही कहते थे हुमेर भाई। प्राचीन समय में सिंध राज्य था और उसे सिंध ही कहा गया साथ ही आज के पाकिस्तान में सिंध प्रान्त है पर उसे भी सिंध ही कहते है और यदि सिन्धु के दूसरी तरह रहने वालो को हिन्दु कहा गया तो सिंध को सिंध ही क्यों हिन्द क्यों नहीं। संस्कृत को भी हंह्कृत नहीं कहते।

एक और बात पारसी पंथ की स्थापना 700 ईसा पूर्व की है। बाद में इस पंथ को संगठित रूप दिया जरथुस्त्र ने। लेकिन हिंदु शब्द का जिक्र पारसियों की किताब से पूर्व की किताबों में भी मिलता है। 

उदाहरण देखिए -

मेरु तंत्र ( शैव ग्रन्थ ) में हिन्दु शब्द का उल्लेख इस प्रकार किया गया है...

'हीनं च दूष्यत्येव हिन्दुरित्युच्चते प्रिये’

( अर्थात... जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दु कहते हैं )

लगभग यही मंत्र कल्पद्रुम में भी दोहराया गया है...

‘हीनं दूषयति इति हिन्दू ‘(

 अर्थात... जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे वह हिन्दु है।)

पारिजात हरण में “हिन्दु” को कुछ इस प्रकार कहा गया है |

हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टम ¡

हेतिभिः शत्रुवर्गं च स हिंदुरभिधियते ।।

माधव दिग्विजय में हिन्दु शब्द का इस प्रकार उल्लेख है...

ओंकारमंत्रमूलाढ्य पुनर्जन्म दृढाशयः ।

गोभक्तो भारतगुरू र्हिन्दुर्हिंसनदूषकः ॥

( अर्थात... वो जो ओमकार को ईश्वरीय ध्वनि माने... कर्मो पर विश्वास करे, गौ पालक रहे तथा बुराइयों को दूर रखे वो हिन्दु है )

ऋग्वेद (८:२:४१) में ‘विवहिंदु’ नाम के राजा का वर्णन है जिसने 46000 गाएँ दान में दी थी विवहिंदु बहुत पराक्रमी और दानीराजा था और, ऋग्वेद मंडल 8 में भी उसका वर्णन है। ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दु शब्द इस प्रकार आया है…

हिमालयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।

तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।।

( अर्थात... हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिन्दुस्थान कहते हैं )

 -इस्लाम के चतुर्थ खलीफ़ा अली बिन अबी तालिब लिखते हैं कि वह भूमि जहां पुस्तकें सर्वप्रथम लिखी गईं, और जहां से विवेक तथा ज्ञान की‌ नदियां प्रवाहित हुईं, वह भूमि हिन्दुस्तान है। 

- नौवीं सदी के मुस्लिम इतिहासकार अल जहीज़ लिखते हैं...

“हिन्दु ज्योतिष शास्त्र में, गणित, औषधि विज्ञान, तथा विभिन्न विज्ञानों में श्रेष्ठ हैं। मूर्ति कला, चित्रकला और वास्तुकला का उऩ्होंने पूर्णता तक विकास किया है। उनके पास कविताओं, दर्शन, साहित्य और नीति विज्ञान के संग्रह हैं। भारत से हमने कलीलाह वा दिम्नाह नामक पुस्तक प्राप्त की है।

इन लोगों में निर्णायक शक्ति है, ये बहादुर हैं। उनमें शुचिता, एवं शुद्धता के सद्गुण हैं। मनन वहीं से शुरु हुआ है।

चीनी यात्री ह्वेनसांग के समय में 'हिंदु' शब्द प्रचलित था। चीनी भाषा में भी 'इंदु को 'इंतु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष में राशि का निर्धारण चन्द्रमा के आधार पर ही होता है। चन्द्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इंतु' या 'हिंदु' कहते थे। मैंने कहीं पढा है कि हिंदु शब्द संस्कृत से आया है। ह:+इंदु --हिंदु। अर्थात जिसका ह्रदय इंदु यानी चंद्रमा के समान पवित्र है। वह हिंदु है। एक मान्यता यह भी है कि हिंदु शब्द हिमालय के प्रथम अक्षर 'हि' एवं 'इन्दु' का अंतिम अक्षर 'न्दु'। इन दोनों अक्षरों को मिलाकर शब्द बना 'हिन्दु और यह भू-भाग #हिन्दुस्थान कहलाया।

सही शब्द हिंदु है हिंदू नहीं

पोस्ट के बीच में एक बात और कहना चाहता हूँ भाषा की शुद्धता के हिसाब से सही शब्द हिंदु है हिंदू नहीं। दा में बड़े ऊ की मात्रा लगाकर हिंदू लिखना अशुद्ध है। संस्कृत के इंदु शब्द में भी छोटे उ की मात्रा है और चीनी भाषा का इंतु भी देवनागरी में त में छोटी उ की मात्रा लगाकर ही लिखा जाता है। यह बात स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है कि पिछले कुछ वर्षों में हिंदु अस्मिता को लेकर चले आंदोलनों में बार-बार गुंजायमान होने के कारण हिंदु शब्द हिंदू में बदल गया।

अब पंथ यानी religion की बात

अंग्रेजी के शब्द religion का अनुवाद धर्म कर देने से भारत के संदर्भ में गङबङ हो गया। हमारे लिए धर्म का पूजा पद्धति से कोई लेना देना नहीं है। पिछली पोस्ट में हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जो धारण करने योग्य है वह धर्म है।

उच्चतम न्यायालय भी यही कहता है।

क्या हिन्दुत्व को सच्चे अर्थों में धर्म कहना सही है? इस प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय ने – “शास्त्री यज्ञपुरष दास जी और अन्य विरुद्ध मूलदास भूरदास वैश्य और अन्य (1966(3) एस.सी.आर. 242) के प्रकरण का विचार किया। इस प्रकरण में प्रश्न उठा था कि स्वामी नारायण सम्प्रदाय हिन्दुत्व का भाग है अथवा नहीं ? इस प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री गजेन्द्र गडकर ने अपने निर्णय में लिखा –

"जब हम हिन्दु धर्म के संबंध में सोचते हैं तो हमें हिन्दु धर्म को परिभाषित करने में कठिनाई अनुभव होती है। विश्व के अन्य मजहबों के विपरीत हिन्दु धर्म किसी एक दूत को नहीं मानता, किसी एक भगवान की पूजा नहीं करता, किसी एक मत का अनुयायी नहीं है, वह किसी एक दार्शनिक विचारधारा को नहीं मानता, यह किसी एक प्रकार की मजहबी पूजा पद्धति या रीति नीति को नहीं मानता, वह किसी मजहब या सम्प्रदाय की संतुष्टि नहीं करता है। वृहद रूप में हम इसे एक जीवन पद्धति के रूप में ही परिभाषित कर सकते हैं – इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं।"

रमेश यशवंत प्रभु विरुद्ध प्रभाकर कुन्टे (ए.आई.आर. 1996 एस.सी. 1113) के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय को विचार करना था कि विधानसभा के चुनावों के दौरान मतदाताओं से हिन्दुत्व के नाम पर वोट माँगना क्या मजहबी भ्रष्ट आचरण है। उच्चतम न्यायालय ने इस प्रश्न का नकारात्मक उत्तर देते हुए अपने निर्णय में कहा-

"हिन्दु, हिन्दुत्व, हिन्दुइज्म को संक्षिप्त अर्थों में परिभाषित कर किन्हीं मजहबी संकीर्ण सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता है। इसे भारतीय संस्कृति और परंपरा से अलग नहीं किया जा सकता।"

अब बात सनातन धर्म की - 

सनातन का अर्थ शाश्वत होता है यानी कभी न खत्म होने वाला । हिंदुत्व सबसे प्राचीन विचारधारा है जिसके धारणत्व आचरण को धर्म कहा गया । जो किसी एक किताब से शुरू नही होती और ना ही खत्म होती है! आस्तिक-नास्तिक या निराकार साकार सब विषयो विचारो को सनातन धर्म खुद में समाए हुए है। ध्यान से देखिए इसमें विश्व की सभी पूजा पद्धतियां समाहित हैं ।

हिंदुत्व क्या है ?

“एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका” (Encyclopedia Britannica) में “हिन्दुत्व” शब्द का अर्थ बताया गया है 

“Hindutva (‘Hinduness’), is an ideology that sought to define Indian culture in terms of Hindu values.” सवाल यह है कि हिंदू वैल्यूस या हिंदुओं के गुण क्या हैं? विवेक, अनुशासन, इन्द्रियों और मन पर संयम रखना, त्याग, सत्य, परोपकार और फल की अपेक्षा किए बिना कर्म करना यह हिंदुत्व के गुण हैं। 

#हिंदुत्व ही #राष्ट्रीयत्व है

हिंदु शब्द की उत्पत्ति की बात मेरे ख्याल से स्पष्ट हो गई। हिंदु शब्द भारत के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। और यह ग्रंथ भारत में मुस्लिम और ईसाई पंथ के आगमन से पहले के हैं । भारत के मुस्लिम और ईसाई भी इस हिसाब से हिंदु ही हैं । क्योंकि हमारे पूर्वज एक हैं । इन ग्रंथों पर भारत के मुसलमानों और ईसाइयों का भी उतना ही अधिकार है जितना अन्य का। पूजा पद्धति बदल जाने से पूर्वज नहीं बदलते। इसी श्रंखला की पिछले कड़ियों में मोहम्मद अली जिन्ना, अल्लामा इकबाल और शेख अब्दुल्ला के परिवार द्वारा इस्लाम ग्रहण करने का उदाहरण दिया जा चुका है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हिन्दुत्व शब्द इस उपमहाद्वीप के लोगों की जीवन पद्धति से संबंधित है। इसे संकीर्णता नहीं कहा जा सकता। साधारण रूप में हिन्दुत्व को एक जीवन पद्धति ही समझा जा सकता है।

(क्रमशः)


(यह श्रंखला मेरे फेसबुक और ब्लॉग www.mankaoj.blogspot.com के साथ एक अन्य न्यूज़ वेबसाइट www.newspuran.com पर भी उपलब्ध है)






 



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