Monday, October 19, 2020

नवरात्रि की शुभकामनाएं : चौथा दिन



धर्म यानी महिलाओं के सम्मान की  पुनर्स्थापना की योगीराज श्रीकृष्ण ने

#मनोज_जोशी


जब अर्जुन ने कुरूक्षेत्र में युद्ध करने से मना कर दिया तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा 


यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।


अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥


परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।


धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥


अर्थात 


मै प्रकट होता हूं, मैं आता हूं, जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं, जब जब अधर्म बढता है तब तब मैं आता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।


श्रीकृष्ण ने यह बात यु्द्ध के मैैदान में कही, लेकिन यदि आप उनके पूरे जीवन पर दृष्टि डालें तो पाएंगे कि योगीराज कृष्ण ने उस युग में महिलाओं के सम्मान की पुनर्स्थापना की। पुनर्स्थापना इसलिए क्योंकि महाभारत काल की घटनाओं को देखेंगे तो पाएंगे कि स्त्री को उसका सम्मान नहीं मिलता था। आखिर पांडवों ने जुएं में अपनी पत्नी द्रोपदी को दांव पर लगा दिया था और वे उसे हार गए। इसके बाद ही युद्ध की स्थिति बनी।

अब आप जिन योगेश्वर श्रीकृष्ण पर ‘‘केरेक्टर ढीला’’ जैसे गानों पर हम थिरकते हैं जरा उनके जीवन के हकीकत को समझ लीजिए। उसके बाद आगे बात करते है।

३११२  ईसा पूर्व इस पृथ्वी पर आए श्रीकृष्ण का जेल में जन्म हुआ , जन्म होते ही जान पर संकट आ गया। फिर जिस माँ ने जन्म दिया वह छूट गई और पालने वाली माँ दूसरी ...! शायद इन विपरीत परिस्थितियों में लालन- पालन के कारण ही कृष्ण महिलाओं के अधिकार को लेकर बहुत संवेदनशील थे। गीता का ज्ञान समझना तो आम आदमी के बस की बाता नहीं है। आप थोड़ी देर के लिए भूल जाइए कि कृष्ण कोई देवता या अवतार हैं । केवल उनके जीवन और कार्यों को सामान्य व्यक्ति की तरह देखिए। आप पाएंगे कि श्रीकृष्ण ने महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने का अद्वितीय कार्य किया। मुझे लगता है कि महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और उनके अधिकारों के लिए की गई पहल के ही कारण श्रीकृष्ण  ५००० से अधिक वर्ष बाद भी प्रासंगिक बने हुए हैं ।


१६ हजार महिलाओं को मुक्त कराया 


कृष्ण की जिन 16 हजार पटरानियों का जिक्र किया  जाता है दरअसल वे सभी भौमासर जिसे नरकासुर भी कहते हैं के यहां बंधक बनाई गई महिलाएं थीं जिनको श्रीकृष्‍ण ने  मुक्त कराया था। श्रीकृष्ण की छोटी बहन सुभद्रा के विवाह की भी कहानी भी एक बहन को उसकी पसंद का वर चुनने की आजादी की कहानी है। रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कहानी भी महिला सम्मान की ही कहानी है । 

(इन सब पर विस्तार से जानकारी के लिए आप हाल ही में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की मेरी पोस्ट देख सकते हैं)

(जन्माष्टमी वाली और यह दोनों पोस्ट मेरे blog - mankaoj.blogspot.com पर भी उपलब्ध है)

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