Tuesday, October 20, 2020

मुझे पत्रकारिता के लिए प्रेरित करने वाले शरद जी

मुझे पत्रकारिता के लिए प्रेरित करने वाले मध्यभारत प्रांत के तत्कालीन प्रांत प्रचारक श्रृद्धेय शरद मेहरोत्रा जी की आज जन्म जयंती है। मैं उन्हें श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूँ ।१९९० के दशक की बात है। समिधा में एक छोटा सा समूह बना था जो अखबारों में संपादक के नाम पत्र लेखन करता था। आदरणीय शरद जी इस समूह का मार्गदर्शन करते थे। 

एक किस्सा मुझे हमेशा याद आता है। पालिटेक्निक चौराहा पर स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा लगना चाहिए यह माँग उठी थी। कुछ दिन बाद स्वामी जी की एक आवक्ष प्रतिमा वहाँ स्थापित हो गई उसका अनावरण नहीं हुआ था। पालिटेक्निक में पढ़ाई के कारण मैं रोजाना उसे देखता।

मुझे बङा अजीब से लगा कि इतने बङे चौराहे पर इतनी छोटी सी प्रतिमा ! ! ! !  फिर स्वामी जी की प्रतिमा तो आदमकद ही होना चाहिए ! ! ! ! उन दिनों स्वामीजी के शिकागो भाषण की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही थी और मुझे  विवेकानन्द साहित्य पढ़ने का चस्का लग चुका था।

पत्र लेखकों के समूह की बैठक में आदरणीय शरद जी ने विषय पूछे। मैंने अपने मन की बात बता दी। उन्होंने कहा - लिखो।

फिर मैंने पत्र लिखा सभी जगह देकर आया।

स्वदेश ने छापा।

थोड़े दिनों बाद आवक्ष प्रतिमा वहाँ से हट गई। चौराहा कुछ दिन खाली पङा रहा फिर आदमकद प्रतिमा स्थापित हुई ।

अपने मन में यह बात जम गई कि लिख कर सरकार को हिलाया जा सकता है।

शरद जी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अनिल डागा जी की पोस्ट पढ़ें ।

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itendra Mathur जी Akshat Sharma जी Mohit Mehta जी आदि भी इस समूह के सदस्य थे। उनकी भी कुछ स्मृतियां होंगी ।

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